अर्थ (संस्कृति), EARTH (प्रकृति) और अर्थ (भौतिक)
बरगद अमृत संगठन का दर्शन स्वामी विवेकानंद के सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, आदरणीय प्रधानमंत्री मोदी जी के अमृतकाल के आह्वान और पंडित दीन दयाल उपाध्याय जी के एकात्म मानववाद के मूल्यों से प्रेरित है, जो अंत्योदय के माध्यम से अंतिम व्यक्ति तक विकास ले जाना चाहते थे।
इस संगठन के संस्थापक माननीय सांसद श्री शशांक मणि के अर्थ (संस्कृति), EARTH (प्रकृति) और अर्थ (भौतिक) के सामाजिक दृष्टिकोण से प्रेरित है जहां हम अर्थ को आगे बढ़ाना, प्रकृति की रक्षा करना और देश के छोटे शहरों और गांवों में एक सकारात्मक नेटवर्क के माध्यम से आर्थिक अवसर लाना चाहते हैं, जैसा कि श्री शशांक मणि जी की पुस्तक ‘अमृत काल का भारत’ में बताया गया है। उन्होने लिखा है कि
“हमारा उद्देश्य “सबका साथ, सबका प्रयास, सबका विकास” के सिद्धांत पर आधारित है, जो प्राकृतिक संसाधनों, सांस्कृतिक धरोहर और आर्थिक विकास पर जोर देती है। इसके लिए हमें 1. युवाओं को उद्यमिता के लिए प्रेरित करना 2. सांस्कृतिक और प्राकृतिक धरोहर का संरक्षण और आर्थिक विकास के अवसरों को बढ़ावा देना, जिससे देवरिया-कुशीनगर सहित पूर्वांचल को एक सक्षम और आत्मनिर्भर क्षेत्र में बदलना, जहां हर व्यक्ति को प्रगति और अवसर प्राप्त हो, एक मात्र लक्ष्य है”
इस सामाजिक संगठन का मूल राष्ट्र निर्माण और हर व्यक्ति के जीवन में अर्थ के संचार पर आधारित है। भारत के नागरिकों में अपार मानवीय क्षमता जो छोटे गांव शहरों में छिपी हुई है यह संगठन नेटवर्क के माध्यम से इसे उजागर करने का संकल्प लिया गया है।
देवरिया-कुशीनगर